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मुक्ति व बंधन दोनों ही में रहने के लिए मुक्त है मनुष्य || आचार्य प्रशांत (2015)

2019-11-29 3 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१६ अगस्त, २०१५<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />प्रसंग:<br />मुक्ति क्या है?<br />मनुष्य में ही मुक्ति की चाह क्यों उठती है?<br />क्या मुक्ति साधना कर के ही मिल पाये गी?<br />मुक्ति क्यों आवश्यक है?<br />मन कैसे जाने की मुक्ति क्या है?<br />क्या मन पर चलने को मुक्ति कहा जाता है?<br />मुक्ति क्या है?<br />मुक्ति ज़रुरी क्यों है ?<br />क्या हम वास्तव में मुक्त है?<br />बंधन क्या है?<br />बंधनों को पहचानने में चूक कहाँ होती है?<br />बंधन हमें अच्छे क्यों लगने लगते हैं?<br />क्या हम बंधन को बंधन की तरह देख पाने में सक्षम हैं?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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